जन्मेजय सिंह
प्रतापगढ़। मांधाता विकास खण्ड इन दिनों खूब सुर्खियों में बना है चाहे सोशल मीडिया हो या यूट्यूब पर वीडियो के मनरेगा कार्य के नाम पर 10 से 20 प्रतिशत कमीशन वसूलने की खबर चर्चा का विषय बना हुआ है। इस खबर की पुष्टि राष्ट्रीय प्रहरी भारत नहीं करता। फिलहाल ब्लॉक के कुछ कर्मचारी व प्रधानों नाम न छापने के नाम पर वसूली अभियान की जानकारी साझा की है। बताते चले कि मांधाता विकासखंड की बीडीओ श्रुति शर्मा ग्राम पंचायत के प्रत्येक कामों में पैसा वसूली का हथकंडा अपना चुकी हैं। इतना ही नहीं, ब्लॉक के सूत्र बताते हैं कि मैडम के आवास देवकली से लेकर कार्यालय तक सफाई कर्मी और ठेकेदार की नियुक्ति कर रखी है। जिनके बल पर वसूली अभियान चला कर काम के बदले पैसा लिया जा रहा है। जिसकी वजह से ग्राम पंचायतों के विकास कार्य भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ रही है। यह बाते कई प्रधानों व सचिवों ने अखबार में नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मांधाता बीडीओ मनरेगा कार्य में और मन चाहे कार्यों के लिए 10 से 20 प्रतिशत कमिशन की डिमांड करती है। प्रत्येक ग्राम पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत से बनने वाली इंटरलॉकिंग सड़क नाली खरंजा लाइट सहित अन्य कामों मे निर्धारित कमिशन की सूची ग्राम प्रधानों के पास भेजी गई है। यही नहीं जो प्रधान कमीशन देने में आनाकानी करते है, उनके गांव में जांच करने की धमकी देती है।
बता दें कि ब्लाक में जबसे बीडीओ श्रुति शर्मा आई है, चंदा और कमीशनखोरी बढ़ गई है। महिने में दो से तीन बार प्रधान और सेक्रेटरी से चंदा वसूली किया जा रहा है। कमीशनखोरी का आलम यह है कि अब भ्रष्टाचार पर कोई रोक-टोक नहीं रहा। सिर्फ कमीशनखोरी का परसेंटेज बढ़ता जा रहा है। मान्धाता ब्लाक में भ्रष्टाचार बढ़ गया है कि कई योजना पूरी होने से पहले ही दम तोड़ देती है। जैसे मनरेगा में जियो टैग के नाम पर फर्जी फोटो लगा कर पेमेंट मनरेगा मजदूरी निकाला ली जाती है। बदनाम सिर्फ ब्लाक के अन्य अधिकारी व क्षेत्र पंचायत सदस्य और प्रधान हो रहे हैं। आखिर जिला प्रशासन इन भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं करती जा गांवों का विकास अवरुद्ध हो रहा है। मनरेगा योजनाओं के पैसे में बंदर बाट से अधिकतर कार्य पूरे नहीं हो पा रहे है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा ? इस मामले में विकास खण्ड अधिकारी से फोन पर बात की तो उन्होंने प्रश्न सुनकर फोन काट दी।
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